सिरसा, 13 दिसंबर (निस)
दिव्यांगता अभिशाप नहीं है। इससे हार नहीं मानकर जीवन में सदैव आगे बढ़ते रहना है क्योंकि यदि आप को खुद पर भरोसा है तो आपके सामने हर मुश्किल छोटी पड़ जाएगी। यह बात पदमश्री व पैरा ओलंपिक में रजत पदक विजेता दीपा मालिक ने दिशा संस्था में आयोजित कार्यक्रम में कही। दिव्यांग बच्चों के क्षेत्र में काम कर रही सिरसा की दिशा संस्था में शुक्रवार को दिव्यांग जागरूकता सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में दीपा मलिक ने विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की।
मोदी प्रेरणा स्त्रोत
इस अवसर पर दीपा मलिक ने कहा कि मेरे प्रेरणा स्त्रोत पीएम मोदी हैं, जिन्होंने सबका साथ-सबका विकास का नारा दिया। हमें दिव्यांग शब्द दिया और उसी प्रेरणा से मैंने मेडल जीता है। उन्होंने कहा कि जब मैंने अपने पैर खो दिए थे तो एक बार लगा कि जिंदगी खत्म हो गई है, लेकिन मेरे माता-पिता ने इलाज करवाया। मैं अपने पैरों पर चलने लगी और शादी हुई। शादी के बाद मेरे एक बच्ची हुई लेकिन उसका भी एक्सीडेंट हो गया। मगर मुझे खुशी है कि मैंने न सिर्फ अपना इलाज करवाया बल्कि बच्ची का भी उपचार करवाया और आज वहीं बच्ची देविका मलिक दिव्यांगों के क्षेत्र में काम कर रही है।
पति ने मेरे लिये छोड़ी आर्मी
दीपा मलिक ने कहा कि भगवान बार-बार मुझे दिव्यांगता की ओर धकेल रहा था। इसके पीछे कुछ संदेश था। पति ने भी मेरे लिए आर्मी की नौकरी छोड़ दी थी। लोगों को लग रहा था कि इस परिवार का क्या होगा जिसमें मां भी दिव्यांग और बच्ची भी दिव्यंाग है। मैंने अपने पिता से पूछा कि मुझे बार-बार एक परेशानी क्यों झेलनी पड़ रही है। इस पर पिता ने कहा कि आपका नाम दीपा है। यानि, आप दीपक की तरह ज्ञान फैलाओ और कहो कि दिव्यांगता अभिशाप नहीं है। दीपा मलिक ने कहा कि आप हार न माने। मन को छोटा न करे। यदि खुद पर भरोसा है तो ईश्वर वह लिखेगा तो आप चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पहले मेरे पति मेरे लिए कमाते थे क्योंकि मैं दिव्यांग थी, मगर आज मैं कमाती हूं और पति रिटायर्ड है।
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